अंगिका के उत्थान के लिए चित्रशाला के मालिक रंजन जी ने अंगजनपद की लोकगाथाओं पर उपन्यास लिखने और लिखवाने का अभियान चलाया। इसी अभियान में दर्जनों उपन्यास लिखा गया। हमको उपन्यास लिखने के लिए हुरकुचने लगे। हम भागते रहे अंत में लिखने के लिए तैयार हो गए। बाबा बिसु राउत पर मैंने उपन्यास लिखा जो 2008 में प्रकाशित हुई। रेस में यह पहला उपन्यास हो गया। आज उपन्यास की हज़ारों प्रति बिक गई है और देश के पुस्तकालयों में मौजूद है जैसा प्रकाशक शिल्पायन ने सूचित किया है। आज कोसी नदी के विजय घाट पर करीब करीब पुल बनकर तैयार हो गया सिर्फ उदघाटन बांकी है। इसी पुल का नाम अब बाबा बिसु राउत होगा यानि अंगजनपद को एक करने वाला पुल। मुख्यमंत्री नितीश कुमार बधाई के पात्र है। कुछ दिन पहले उन्होंने अंगिका अकादमी बनाने की भी घोषणा की है सुल्तानगंज के मंच से। अंगजनपद की खोई सांस्कृतिक विरासत अब अपने पूर्व जगह पर लौट आएगी यही आशा है। ई० अंजनी कुमार शर्मा
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015
रविवार, 12 अप्रैल 2015
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