इतना बड़ा त्रासदी उत्तराखंड में देखने को मिला, यह सरकार की नाकामी और मौसम बिभाग की भारी चूक की वजह से हुआ। अगर मौसम बिभाग को यह मालूम था की भारी वारिस होने वाला है तो क्यों नहीं तीर्थयात्रियों को सतर्क किया गया? दूसरी बात यह है की हर जगह मिट्टी को पाटकर कंक्रीट से धरती के गर्भ में वर्षा के पानी को जाने से रोक दिया जाता है। साथ ही नदियों के रास्ते को संकीर्ण बना दिया जाता है, वह तो ओवरफ्लो होगा ही और तांडव नृत्य शंकर की ही तरह करेगा ही। जितना लोग विकास की अंधी दौड़ में भागेगा उतना ही विनाश पीछे-पीछे चलेगा। आज केदारनाथ का अस्तित्व मिट गया, भविष्य में और भी शहरों का यही हाल होगा अगर हम नहीं चेते तो। ई0 अंजनी कुमार शर्मा(पर्यावरण विद, साहित्यकार, वेबसाइट मेनेजर आम आदमी पार्टी भागलपुर )
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