चुनाव के सरगर्मी बढ़ी गेलै। पटना से दिल्ली तक नेता छुछुवावे लगलै टिकट
लेली। विद्वान के टिकट मिलवे नै करते त कथी लेली धतरपतर करतै?सब पार्टी
खोजे छै बाहुबली के, पैसा वाला के। बिना पैसा वाला आरो विद्वान के इंट्री
बंद छै बिधान सभा आरो लोक सभा में। वोट के पहिने गोर पकडे छै, दास बनी जाय
छै जनता के, मिठमोहना बनी जाय छै। जीतला के बाद सब वादा भूली के बनी जाय छै
दादा। आय तक कोय नै कहने होते नेता के की भागलपुर के पूरब भैना पुल आरो
पश्चिम में चंपानाला पूल कहिया बनते ? भागलपुर आबे वहे छै, आकाश छूबी रहलो
छै। तबे न लोंगे कहे छै भीतर सॅ टीप टॉप आरो ऊपर से मोकामा घाट। भागलपुर
आवे स्मार्ट सिटी बनते त यहे सड़लो पूल से काम चलते। विक्रमशिला पूल के भी
हालत खस्ता छै। कोय बात नै छै सुल्तानगंज में भी पूल बने लगलै। कुछ दिन
यहुँ भार थामते। ई0 अंजनी कुमार शर्मा, पूर्व एवम प्रथम जिला महासचिव अखिल
भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच।
सोमवार, 14 सितंबर 2015
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015
अंगिका के उत्थान के लिए चित्रशाला के मालिक रंजन जी ने अंगजनपद की लोकगाथाओं पर उपन्यास लिखने और लिखवाने का अभियान चलाया। इसी अभियान में दर्जनों उपन्यास लिखा गया। हमको उपन्यास लिखने के लिए हुरकुचने लगे। हम भागते रहे अंत में लिखने के लिए तैयार हो गए। बाबा बिसु राउत पर मैंने उपन्यास लिखा जो 2008 में प्रकाशित हुई। रेस में यह पहला उपन्यास हो गया। आज उपन्यास की हज़ारों प्रति बिक गई है और देश के पुस्तकालयों में मौजूद है जैसा प्रकाशक शिल्पायन ने सूचित किया है। आज कोसी नदी के विजय घाट पर करीब करीब पुल बनकर तैयार हो गया सिर्फ उदघाटन बांकी है। इसी पुल का नाम अब बाबा बिसु राउत होगा यानि अंगजनपद को एक करने वाला पुल। मुख्यमंत्री नितीश कुमार बधाई के पात्र है। कुछ दिन पहले उन्होंने अंगिका अकादमी बनाने की भी घोषणा की है सुल्तानगंज के मंच से। अंगजनपद की खोई सांस्कृतिक विरासत अब अपने पूर्व जगह पर लौट आएगी यही आशा है। ई० अंजनी कुमार शर्मा
रविवार, 12 अप्रैल 2015
सोमवार, 30 मार्च 2015
प्रभात खबर के बहुत बधाई अंगिका के काँलम चालू करला पे। पहिने अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के एगो शाखा अंगवाणी रहै जेकरा तरफ सें अंगिका के गोष्ठी चले रहे शहर में जगह- जगह। कहलो गेलो छै ,"मालिक गेले घर दायें बाएं हर।" अ0 भा0 अं0 सा0 कला मंच के संस्थापक महामंत्री गुरेश मोहन घोष 'सरल' ई दुनिया में नै रहलै, अंगवाणी गोष्ठी भी कल्पे लगलै। अंगवाणी गोष्ठी भागलपुर में ही खाली नै होय रहे- मुंगेर, बांका ,खगडिया ,कटिहार आदि जग्गह में होय रहै। संस्था के गठन सौसे अंगजनपद में सरल जी ही करने रहै लेकिन साथ में जिला महासचिव के हैसियत से हम्मू उनका साथें जाय रिहे। आवे हम्मू सुल्तानगंज पकड़ी लेलिये, वहे पावन धरती छिकै ई जहाँ विश्व के सबसे बड़ो श्रावणी मेला लागै छै। यहीं राजा कृष्णा नन्द ने 'गंगा' पत्रिका निकाले रहे। निराला, दिनकर, नेपाली,रेणु, महादेवी वर्मा, शिव पूजन सहाय, राहुल सांकृत्यायन सें लेके बड़ो-बड़ो साहित्यकार ई पत्रिका से जुड़लो रहै। सुल्तानगंज प्रवास के दौरान ही राहुल जी ने अंगभाषा ( छिका छिकी ) के नामकरण अंगिका करलकै। नितीश जी ने यहीं अंगिका के अकादमी खोलै के घोषणा मंच सें करलकै। अंगिका आवे समृद्ध भाषा के रूप में जानलो जाय छै। हर विधा में रचना के भंडार होय गेलै। अष्टम सूचि में दर्ज करे वास्ते केंद्र सरकार के आँख कब खुलै छै यहे देखना छै। जय अंग जय अंगिका।
ई0 अंजनी कुमार शर्मा
ब्लॉक रोड, सुल्तानगंज, भागलपुर-813213
शनिवार, 10 जनवरी 2015
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अंगिका ग़ज़ल
नै रजाई छै न कम्बल नै कथू के छै ठिकाना
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