चुनाव के सरगर्मी बढ़ी गेलै। पटना से दिल्ली तक नेता छुछुवावे लगलै टिकट
लेली। विद्वान के टिकट मिलवे नै करते त कथी लेली धतरपतर करतै?सब पार्टी
खोजे छै बाहुबली के, पैसा वाला के। बिना पैसा वाला आरो विद्वान के इंट्री
बंद छै बिधान सभा आरो लोक सभा में। वोट के पहिने गोर पकडे छै, दास बनी जाय
छै जनता के, मिठमोहना बनी जाय छै। जीतला के बाद सब वादा भूली के बनी जाय छै
दादा। आय तक कोय नै कहने होते नेता के की भागलपुर के पूरब भैना पुल आरो
पश्चिम में चंपानाला पूल कहिया बनते ? भागलपुर आबे वहे छै, आकाश छूबी रहलो
छै। तबे न लोंगे कहे छै भीतर सॅ टीप टॉप आरो ऊपर से मोकामा घाट। भागलपुर
आवे स्मार्ट सिटी बनते त यहे सड़लो पूल से काम चलते। विक्रमशिला पूल के भी
हालत खस्ता छै। कोय बात नै छै सुल्तानगंज में भी पूल बने लगलै। कुछ दिन
यहुँ भार थामते। ई0 अंजनी कुमार शर्मा, पूर्व एवम प्रथम जिला महासचिव अखिल
भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच।
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