सब मुखिया बनै लेली,चललकै खूब दांव,
जे भी छलै लायक सब,जितलै वहे चुनाव।
पहलके नांकी अबरी,होतै खूब विकास,
लोगो के बनाना छै,ई रं के विश्वास।
भूली भूली अब द्वेष,बनवो सब सद्भाव,
तनिक्को नै आपस में,झलकै कहीं दुराव।
अंग के देहो से अब,छुटतै सभ्भे मैल ,
बिना नगड़ी मचोडने,हनहन करतै बैल।
मौगी-मुन्सा मिली के, खोलो कुछ उद्योग,
अंजनी भी देतै अब,समय समय सहयोग।
ई० अंजनी कुमार शर्मा
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