कल घाट पर किसी ने दाढ़ी की चर्चा छेड़ दी। एक आदमी ने इसके महत्व को समझाते हुए कहा-क्या बात करते हो? इसी दाढ़ी के चलते रविन्द्र नाथ टैगोर से मुलाकात करने के लिए गाँधी जी को घंटों इंतजार करना पड़ा था। जब गाँधी जी टैगोर से मिलने गए थे तो उस समय रविन्द्र बाबू दाढ़ी का सेटिंग कर रहे थे।
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