गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को विकास पुरुष समझकर ही भाजपा ने प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया है। लेकिन उनके भाषणों पर किसी ने गौर नहीं किया कि वे क्या बोलते हैं ?दूसरे प्रदेशों में वे बेदाग निकल गए पर बिहार में दाग लग गया कि वे कितना सही और कितना गलत बोलते हैं?चन्द्रगुप्त को गुप्त वंश का बता दिए जबकि चन्द्र्गुप्त मौर्य वंश के संस्थापक थे। तक्षशिला को बिहार में बता दिए जबकि वह पाकिस्तान में है। सिकंदर को गंगा स्नान करने बिहार पहुंचा दिए जबकि वे सतलज के पास से ही भाग गए थे। ऐसे ही उजुल फजूल भाषणों से जनता को मुर्ख बनाने की कोशिश होती है। इतिहाश और भूगोल से अनभिज्ञ व्यक्ति से क्या प्रधानमंत्री कि कुर्सी की शोभा बढ़ेगी ? लच्छेदार और जोर से भाषण देने से क्या यहाँ की जनता को आभाष हो जायगा कि सही रूप में वे प्रधानमंत्री के हक़दार हैं ? इसी तरह हाव -भाव और नौटंकी अंदाज में बोलकर आसाराम ने लाखों भक्तों से क्रूर मजाक किया है। हमको तो यही लगता है कि जितना भाषण देंगे उतना ही भाजपा को क्षति ज्यादा होगी फायदा कम।
ई0 अंजनी कुमार शर्मा ( वेबसाइट मेनेजर, आम आदमी पार्टी भागलपुर )