रातो पहर जो किया करता है रमण मित्रो
वो तितलियों को सिखाता है व्याकरण मित्रो
अपने दिलों में सर्वप्रथम झांककर तो देखो
क्या यह नहीं लग रहा है अतिक्रमण मित्रो
आरोप गढ़ना सबों की अब बन गई आदत
कोई नहीं देखता अपना आचरण मित्रो
छोटे बड़ों का किया करते हैं अनादर अब
दिल को नहीं अब सुहाता तनिक यह क्षण मित्रो
अब अंजनी साफ उलट गई है दुनिया
क्या स्वच्छ अब हो सकेगा पर्यावरण मित्रो
अंजनी कुमार शर्मा
वो तितलियों को सिखाता है व्याकरण मित्रो
अपने दिलों में सर्वप्रथम झांककर तो देखो
क्या यह नहीं लग रहा है अतिक्रमण मित्रो
आरोप गढ़ना सबों की अब बन गई आदत
कोई नहीं देखता अपना आचरण मित्रो
छोटे बड़ों का किया करते हैं अनादर अब
दिल को नहीं अब सुहाता तनिक यह क्षण मित्रो
अब अंजनी साफ उलट गई है दुनिया
क्या स्वच्छ अब हो सकेगा पर्यावरण मित्रो
अंजनी कुमार शर्मा
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