अंगिका के विद्वान हैं जो करीब 45 साल से अंग माधुरी पत्रिका अंगिका में निकाल रहे है पटना से इनपरमैं अपना उद्गार व्यक्त कर रहा हूँ अंगिका ग़ज़ल से ---
ग़ज़ल
सोच औव्वल, आकर्षक अंदाज जिनकs
आय तक नै लेलकै सरताज जिनकs
सिर्फ चकोर करै अंगिका बस अंगिका ही
छै हमेशा ही पक्षधर समाज जिनकs
नौकरी के साथ ही बनलै पुजारी
नाम लै छै लोग दूरदराज जिनकs
जिन्दगी भर काम करने छै जगी क'
आसमानs क' छुव' क' राज जिनकs
सब दिन बिना लोभ के काम करने छै
गूंजते रहतै यहाँ आवाज जिनकs
एक अरसा सें पत्रिका निकलवाव'
अंगभाषा नें करै छै नाज जिनकs
छै युवा रं के यहs वय में लगै छै
कोय नै छै ज' लगै नाराज जिनकs
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