संवेद और पुष्पक
एक पत्रिका संवेद , पाया हाथों हाथ
डाक से पाया पुष्पक , जो है इसके साथ
कालजयी औ अहिल्या , संपादक वेजोड़
योगदान साहित्य में , देते तावड़तोड़
एक उत्तर दूजा दक्षिण, पर मकसद है एक
हिंदी के प्रसार में , काम किये है नेक
भरे है हर पन्ने में , रसगंध औ पराग
रचनाओं में सजल है , है सौन्दर्य अनुराग
दोनों के दोनों यहाँ , लगती कितनी पुष्ट
पाठकवृंद पड़कर ही , होते है संतुष्ट
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