सोमवार, 30 जून 2014

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संवेद और पुष्पक 
एक पत्रिका संवेद , पाया हाथों हाथ 
डाक से पाया पुष्पक , जो है इसके साथ 
कालजयी औ अहिल्या , संपादक वेजोड़ 
योगदान साहित्य में , देते तावड़तोड़ 
एक उत्तर दूजा दक्षिण, पर मकसद है एक
हिंदी के प्रसार में , काम किये है नेक 
भरे है हर पन्ने में , रसगंध औ पराग 
रचनाओं में सजल है , है सौन्दर्य अनुराग
दोनों के दोनों यहाँ , लगती कितनी पुष्ट 
पाठकवृंद पड़कर ही , होते है संतुष्ट   

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