सब्जी भी मॉम-डैड करने लगी
एक दिन पत्नी ने कहा -
टहल कर लौटियेगा लेते आइयेगा तरकारी
तब न करेंगे नाश्ता की तैयारी
नहीं तो होगा आज उपवास
करियेगा नहीं हमसे तब वकवास
झोला और पैसा लेकर
पहुँच गया सब्जी बाजार
चक्कर लगाया आर-पार
नहीं पटा कहीं भाव
डलिया में सब्जी दे रहा था ताव
प्याज नौ रूपये पाव
साग में लग गया आग
मन भिन्ना गया जब
एक बालक ने दिखाया सड़ा गला पालक
सोचे टमाटर का सलाद बनाकर करेंगे नाश्ता
लेकिन उससे तो पेट्रोल ही है सस्ता
बढ़ गया मुझको झरकी
गोभी दिखा दिखाकर ललचाने लगी जब लड़की
बीस रुपया किलो बिकता है परोल
मूछ टेरता है डलिया में ओल
जो बना है सबसे चालू
वह तो है सबका राजा आलू
रामरस रंग में लगता है पीला-पीला
खरीददार का क्यों न हो अंटी ढीला
जैसे-जैसे सब्जी बदल रही है चाल
उधर मुसकता है दूकान में दाल
मंहगाई ने सच में तोड़ दिया है सीमा
फांके-फांके बिकता है कदीमा
मत पूछो कच्चे चने की कीमत
सौ रूपये में मील जाय समझो गनीमत
कमीना बन गया है सोजीना
सब्जियों के बीच में हो गई है मुछों की लड़ाई
साक्षरता ने कर दी है चढाई
झिंगली बीस तो बैगन तीस
सब्जी की दबंगई देखकर बढ़ जाता है रीस
मन करता है चल दें करके कीस
भिंडी, परवल, कटहल बना है शो पीस
मीरा का तान छेड़ता है खीरा
भाव देखकर छोड़ दिया करेला का झमेला
बाबा रामदेव ने तो बढ़ा दिया है कद्दू का भाव
जिसके प्रति बढ़ गया है सबका चाव
सुई से ही फड़ता है और सुई से ही बढ़ता है
शिमला मिर्च, लहसून और आदि
लगता है पहनकर बैठी है खादी
सब्जी भी अब मॉम-डैड करने लगी
हिंदी छोड़कर अंग्रेजी बोलने लगी
इसी की करदानी से तो आया अब जंक फ़ूड
बिगड़ गया है घर-घर का मूड
अंत-अंत में मेरे साथ हो गई लाचारी
खरीद लिया पाव भर गेनाड़ी
मोल-भाव से नाड़ी भी गया सटक
भनसा में जाकर झोला दिया पटक
ई0 अंजनी कुमार शर्मा,सियारामनगर, भीखनपुर,
भागलपुर -812001
एक दिन पत्नी ने कहा -
टहल कर लौटियेगा लेते आइयेगा तरकारी
तब न करेंगे नाश्ता की तैयारी
नहीं तो होगा आज उपवास
करियेगा नहीं हमसे तब वकवास
झोला और पैसा लेकर
पहुँच गया सब्जी बाजार
चक्कर लगाया आर-पार
नहीं पटा कहीं भाव
डलिया में सब्जी दे रहा था ताव
प्याज नौ रूपये पाव
साग में लग गया आग
मन भिन्ना गया जब
एक बालक ने दिखाया सड़ा गला पालक
सोचे टमाटर का सलाद बनाकर करेंगे नाश्ता
लेकिन उससे तो पेट्रोल ही है सस्ता
बढ़ गया मुझको झरकी
गोभी दिखा दिखाकर ललचाने लगी जब लड़की
बीस रुपया किलो बिकता है परोल
मूछ टेरता है डलिया में ओल
जो बना है सबसे चालू
वह तो है सबका राजा आलू
रामरस रंग में लगता है पीला-पीला
खरीददार का क्यों न हो अंटी ढीला
जैसे-जैसे सब्जी बदल रही है चाल
उधर मुसकता है दूकान में दाल
मंहगाई ने सच में तोड़ दिया है सीमा
फांके-फांके बिकता है कदीमा
मत पूछो कच्चे चने की कीमत
सौ रूपये में मील जाय समझो गनीमत
कमीना बन गया है सोजीना
सब्जियों के बीच में हो गई है मुछों की लड़ाई
साक्षरता ने कर दी है चढाई
झिंगली बीस तो बैगन तीस
सब्जी की दबंगई देखकर बढ़ जाता है रीस
मन करता है चल दें करके कीस
भिंडी, परवल, कटहल बना है शो पीस
मीरा का तान छेड़ता है खीरा
भाव देखकर छोड़ दिया करेला का झमेला
बाबा रामदेव ने तो बढ़ा दिया है कद्दू का भाव
जिसके प्रति बढ़ गया है सबका चाव
सुई से ही फड़ता है और सुई से ही बढ़ता है
शिमला मिर्च, लहसून और आदि
लगता है पहनकर बैठी है खादी
सब्जी भी अब मॉम-डैड करने लगी
हिंदी छोड़कर अंग्रेजी बोलने लगी
इसी की करदानी से तो आया अब जंक फ़ूड
बिगड़ गया है घर-घर का मूड
अंत-अंत में मेरे साथ हो गई लाचारी
खरीद लिया पाव भर गेनाड़ी
मोल-भाव से नाड़ी भी गया सटक
भनसा में जाकर झोला दिया पटक
ई0 अंजनी कुमार शर्मा,सियारामनगर, भीखनपुर,
भागलपुर -812001
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