सोमवार, 12 नवंबर 2012

purani sanskriti ko ab ------------

पुरानी संस्कृति को अब, सबने दी है लीप
दीवाली का अर्थ था, तब ढिबरी औ दीप
तब ढिबरी औ दीप, चले हैं किसे बुलाने
आधुनिकता के सब, बने हैं यहाँ दिवाने
पटाखे दिखलाकर,लक्ष्मी को क्यों डराते
कचडों से खेलकर, प्रदूषण भी फैलाते    

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