रविवार, 25 मार्च 2012

hindi diwas

हिंदी दिवस
हाँ !हाँ! मनायेगें
क्यों नहीं मनायेगे
दिल से राजभाषा पखवारा
अंग्रेजों ने मार-मार कर
इसे बना डाला है अधमरा
अभी भी कराह रही है हिंदी
आता है गुस्सा
उड़ाते हैं लोग इसकी खिल्ली
अंग्रेगी लाधने वालों का
नहीं बचा है अब ठौर-ठिकाना
फिर भी इसके पीछे
रहते है हम दीवाना
गहराई तक
अंग्रेगी की पहुँच  गयी है जड़
उसी में काटकर कलम
लगा देना है हिंदी का धड
        अभि० अंजनी कुमार शर्मा
प्रकाशित-भारतवाणी, धारवाड़ , सं/ डॉ ० चंदूलाल दुबे , अंक-सितम्बर-२०११,पेज-5 
  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें