अलग मिथिलांचल राज्य के बहाने अंग महाजनपद पर हमला क्यों ?
कुछ माह पहले भागलपुर से प्रकाशित दैनिक जागरण में एक ऐसी खबर छ्पी जिसको पढ़कर अंग महाजनपद के तमाम रचनाकारों की नसों में बहता खून जम सा गया l वह खबर थी अलग मिथिलांचल की मांग जिसमे बज्जिका और अंगिका के क्षेत्रों को भी अपने नागपाश में जकड लिया l लाखों -लाख अंगिका भाषियों की भावना से घिनोना खिलवाड़ किया गया l सवाल यह उठता है की अलग मिथिलांचल की मांग करने वालों की गारद को अंग के इलाके को अपने क्षेत्र में शामिल करने में झिझक क्यों नहीं हुई ? अपने टुच्चे स्वार्थ के कारण इस तरह का खेल खेला गया l सच तो यह है की अंग प्रदेश के लोगों की अधूरी जागरूकता और शालीनता के कारण यह धूर्ततापूर्ण खेल एक अरसे से मैथली के उन कथित पंडों द्वारा खेला जा है l शायद ये लोग पन्निकर समिति की रिपोर्ट से अनभिज्ञ हैं l और तो और इनको इतिहास -भूगोल का कुछ ज्ञान नहीं है l मैथिली का अष्टम सूचि में आना भी संदेह के घेरे में आता है l
हिंद -चीन में समुद्र के किनारे चंपा राज्य की स्थापना द्वितीय शती में हुई l यहाँ भी राज्य का चम्पा नाम इसलिए प्रचलित हुवा की राज्य स्थापित करने वाले चम्पा (भागलपुर ) से आये थे l इन सभी द्वीपों का नाम अंगद्वीप था l इतना ही नहीं पंडों को यह जानकर दुःख होगा की बौद्धकाल के प्रसिद्ध बौद्धग्रंथ में जिन सोलह महाजनपदों का उल्लेख हुवा है, उनमे अंगजनपद सबसे प्रथम स्थान पर है l मिथिला का कहीं जिक्र तक नहीं है l सरकार के बगैर किसी सहयोग के जिस अंगिका के पास पाँच सौ से ज्यादा कलमकार , इतिहासकार और बुद्धी- जीवी हों वह अंगिका कमजोर कैसे हो सकती है ? अब तक जिस अंगिका की धरती पर बहती गंगा में शरतचंद , दिनकर , नेपाली , रेणु , वनफूल , महादेवी वर्मा , राजा राम मोहन राय , गौतम बुद्ध , रविंद्रनाथ टेगौर , विवेकानंद ,किशोर कुमार, अशोक कुमार ,सरहपाद , दीपंकर श्रीज्ञान जैसे लोगों की छवियाँ तैरती हों , वह अंगिका असहाय कैसे हो सकती है ? इसी जनपद ने बिहार को 11 मुख्य मंत्री दिया है l डॉ श्री कृष्ण सिंह , चंद्रशेखर सिंह , सतीश सिंह , बी पी मंडल , भोला पासवान शास्त्री आदि l
श्री कृष्ण सिंह तो अपने कार्यकाल में कई अंगिका के सम्मेलनों में आते रहें हैं l अपने समय में अंगिका को अष्टम सूचि में शामिल करने के लिए अग्रसारित भी किये थे l भागलपुर के कई सांसदों ने भी अंगिका को अष्टम सूचि में शामिल करने के लिए आवाज उठाई है l सर्वप्रथम डॉ रामजी सिंह ने 20/11/1978 में ही इसके लिए आवाज उठाई , जिसको केंद्र सरकार ने अनसूना किया है l बिल न0 175 आँफ 1978 के तहत डॉ 0 रामजी सिंह ने कहा कि-
महत्वपूर्ण जानकारी हमरा सब तक पहुंचाबै ल्लि आपनै क हमरो ओर स धन्यवाद। - सागर कुमार पोद्दार
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