जिसको नहीं हो रही है पर्यावरण वेरोजगारी
मिलती है पगार पृथ्वी का दोहन का बढा है कहर क़ी बढती दर से
धन अपार मानो सोहन चीखता शहर जूझता देश
वोट खातिर बन गया चौपट हुआ कत्ल बेटी का
लुटेरों को सटाते शराब _सिगरेट आन,बान औ शान औ माँ जाती जेल
मंत्री बनाते मानो फैशन ध्वस्त जापान कैसा है खेल
बने है बाबा दिखती नहीं
अब अरबपति गंगा में वह धार
समागम से समझो सार
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