सोरठी ब्रिजभार मेरा दूसरा उपन्यास है जिसका कथासार बहुत ही रोचक है। यह भी उपन्यास अंगजनपद की लोकगाथाओं पर है।आज अंगप्रदेश 22 जिलों की सीमा को अपने पेट में समेटे हुए है। इसी अंचल में अनेक लोकगाथायें प्रचलित हैं l मरणासन्न की स्थिति में दम तोड़ रही इन लोकगाथाओं को यहाँ के साहित्यकारों ने औपन्यासिक विस्तार देकर इसमें एक नया जीवन प्रदान किया है l जिसमे अंगिका को भी प्रतिष्ठा मिलनी शुरू हो गई है l अभी तक 13 से ज्यादा उपन्यासों का प्रकाशन हो चुका है l इससे भागलपुर की एक अलग पहचान बनती है l
1) अंजनी कु0शर्मा-बाबा बिसु रावत (2008), 2) डॉ मीरा झा-बिहुला विषहरी(2008), 3) डॉ अमरेन्द्र -सल्हेश भगत (2009) 4)डॉ विद्या रानी -सारंगा (2010),5) धनञ्जय मिश्र -गोपी चंद (2010), 6) शिव कुमार शिव -महुआ घटवारिन (2010),7) डॉ प्रतिभा राजहंस -प्रतिशोध (2010),8) विद्या रानी -लचिका रानी (2010), 9)जगप्रिय -ब्रिजाभर (2010), 10) दिनेश तपन -रेशमा चौहरमल (2010), 11)रंजन -कुँवर नटुआ दयाल (2010), 12) अनिरुद्ध विमल- रानी लचिका(2010), 13)अंजनी कु0 शर्मा -सोरठी ब्रिज भार (2011) l
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