तिलकपुर सेनानी का, कहलाता है धाम
जिस धरती क़ी कोख से, जन्म लिए सियाराम
चटवा दिए थे जिसने, अंग्रेजों को धूल
जिनकी शक्ति को सबने, मन में किया कबूल
अंग्रेजों के कुचक्र का, वे रखते थे काट
उनका तो व्यक्तित्व था, सच में बहुत विराट
जिन्दगी भर सहते रहे, घर का मगर वियोग
सहचरी सरस्वती का, मिला खूब सहयोग
अंग्रेजों का सपना, पल में कर दी चूर
सपूत थे वे गाँव के, सचमुच ही इक नूर
अंजनी कुमार शर्मा
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