बम सेवा में बहुत लोग लागलो रहै छै वहे रं जुगाड़ गाड़ी जेकरा हुरहुरिया भी कहै छै रातो दिन बम सेवा में तल्लीन रहै छै। कल अजगैवी धाम में जे कवि सम्मेलनहोलै हमरो कविता के शीर्षक रहै 'हम्मे छिकये जुगाड़ गाड़ी वोकरो एक अंश सुनाय रहलो छिये ---देखै छो की टुकुर टुकुर,सुरुज भगवान बरसाय रहलो छै आग, नूनवा के मुहो से टपकी रहलो छों झाग,बैठो दिल चांपी के दिमाग नापी के,कोय नै लेने छै केकरो करम, मौगी-मुनसा सब बैठे छै,थूकि दहो सबठो शरम,पालथी मारी के बैठो या चुकुमुकु,या दहो टांग पसारी,हम्में छिकये जुगाड़ गाड़ी।
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