21 मार्च विश्व हिंदी दिवस पर----
कई दिनों तक चूल्हा रोया,चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त
बाबा नागार्जुन(साभार मधुरिमा )
बाबा नागार्जुन जब भागलपुर आते थे तो अंगिका कवियों के बीच बैठकर अंगिका कविता सुना करते थे। और बोला करते थे 'अंगिका में बहुत दम है,मैथिली से किसी मामले में नहीं कम है। '
कई दिनों तक चूल्हा रोया,चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त
बाबा नागार्जुन(साभार मधुरिमा )
बाबा नागार्जुन जब भागलपुर आते थे तो अंगिका कवियों के बीच बैठकर अंगिका कविता सुना करते थे। और बोला करते थे 'अंगिका में बहुत दम है,मैथिली से किसी मामले में नहीं कम है। '
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