यह 400 पृष्ठों का 'अंगमंजरी' उपन्यास डॉ प्रभा कुमारी का है l अंग मंजरी उपन्यास उस कथा को बांचता है जिस समय जंबूद्वीप के सोलह महाजनपदों में से एक महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली अंग महाजनपद रहा है, जिसकी राजधानी चम्पानगर थी l इस महानगर की मुख्य गणिका अंगमंजरी है ,जो समय समय पर सम्राट ब्रह्मदत्त को शासन के सम्बन्ध में , वित्तीय अनियमितताओं को संतुलन में लाने के सम्बन्ध में अपना महत्वपूर्ण विचार देती रही है l ऐसे तो डॉ प्रभा व्याख्याता हैं लेकिन साहित्य से काफी लगाव रखती है l देश विदेश में ढेरों सम्मान ले चुकी हैं l नेपाल, मंरिशस, इंग्लैंड, मलेशिया, सिंगापुर. थाईलैंड, पेरिस, कनाडा आदि देशों की साहित्यिक यात्रायें कर चूकी हैं l अभी अभी उनका एक और उपन्यास गुलगुलिया भी आई है l
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