उनको गाड़ी में सूचित कर दिए थे फ़ोन से की मै पटना आ रहा हूँ। मै अशोक के साथ गांधी मैदान गया तो देखा आप की बैठक चल रही है, 25 -30 लोग थे , सबके माथे में आप की टोपी थी बीच मे चौधरी जी बैठे थे। सबसे मेरा परिचय करवाया चौधरी जी ने। मैंने पूछा स्वराज की पुस्तक है ? जवाव मिला नहीं। लेकिन एक आदमी उसमे से बोला कि मैदान के उत्तर और पूर्व छोड़ पर पुस्तक मिल रही है। हम दोनों तुरंत उस छोड़ पर गए। सचमुच स्वराज पुस्तक मिल रही थी। उचित दाम पर दो पुस्तकें खरीदी फिर दोनों ने एक एक टोपी लेकर माथे पर रखा और दोनों ने स्वेटर में बैच भी आलपीन से खोंसा। बेचने वाली से परिचय भी हुआ। उसका नाम रेखा मोदी था जो पूर्व मंत्री सुशील कुमार मोदी की बहन थी। कर्मठ और जुझारू महिला लगी। हमलोग फिर टोपी और बैच लगाकर ही पैदल पाँच किलोमीटर तक चले। रिक्सावाला , ठेलावाला, दुकानदार सबों ने खूब इज्जत किया। किसी किसी को ई -मेल अपना दिया ऑन लाइन सदस्य बनने के लिए तो किसी को टाँफ़ियां भी दिया। लेकिन पटना की गलियों में आप का एक तरह से प्रचार भी कर दिया। ई0 अंजनी कुमार शर्मा, आप
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