यह पुस्तक डॉ विद्या रानी द्वारा लिखी गई है कलोल ऋषि पर। कलोल ऋषि के नाम पर ही कहलगाँव पड़ा। पौराणिक कथा पर आधृत यह उपन्यास 128 पृष्टों का है जो समीक्षा प्रकाशन से छपी है। इसी कलोल ऋषि का लड़का अष्टावक्र था जिन्होंने अपने पिता को छुड़ाने के लिए राजा जनक से तर्क वितरक किया था।कहोल और अष्टावक्र का जिक्र महाभारत में भी है। कहोल कहल से बना है जिसका अर्थ होता है ताप। यही कारन है की इसी कहल को सार्थक करने के लिए यहाँ थर्मल पॉवर बना है। ई० अंजनी कुमार शर्मा
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