रविवार, 29 अप्रैल 2018

dadi...............

ये मेरी दादी थी परोरा,पूर्णिया की। नाम भी याद है-द्रोपदी देवी। जब अंतिम सांसे गिन रही तो पता चला तो हम रात 12 बजे भागलपुर से चल दिए थे तिलकपुर के लिए।उस समय रास्ता  भी सुनसान रहता था। मेरे आने के बाद दादी मरी थी। 

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