NIT Warangal के मित्र भले ही ऊँचे ऊँचे पदों से रिटायर किये है लेकिन मैं जब तीन परिचय देता हूँ ज्यादा नहीं तो हर परिचय में उनके मुंह से -वाह वाह निकलता है। पहला परिचय देता हूँ -1)केंद्रीय कक्ष लोकसभा में 2002 में हिंदी दिवस पर कविता पाठ। 2)मेरा उपन्यास 'बाबा बिसू राउत ' भारत के प्रायः सभी पुस्तकालय में उपलब्ध है। 3)देश के प्रायः सभी शहरों में मेरी रचना छपी है। हमने तो वारंगल मीट सुल्तानगंज में करने का न्योता भी दे दिया। और यह होगा कभी न कभी। दस-बीस हजार गलेगा तो गलेगा।
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