गंगा के बीच धार में कविगोष्ठी का प्रयोग बहुत सफल रहा। स्वच्छ गंगा,निर्मल गंगा,पवित्र गंगा का संदेश कवियों द्वारा काफी सफल ही नहीं रहा बल्कि गंगा के किनारे खड़े लोगों ने भी कविता का रसास्वादन किया और तो और गंगा मां भी खुश
होकर पालकी की तरह नाव को झूलाने लगी। ऐसा कार्यक्रम अब नियमित होगा।
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