68 साल पहले 1949 में नाथूराम गोडसे को फांसी पर लटकाया गया था। वे एक राष्ट्रवादी पत्रकार थे। चितपावन मराठी परिवार में जन्मे गोडसे जिन्ना की अलगाववादी विचारधारा का विरोधी थे। पहले गाँधी जी के कार्यक्रमों का समर्थन किया करते थे। लेकिन बाद में मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण बापू का विरोधी हो गए थे। दो समाचार पत्रों का संपादन भी उन्होंने किया था। संपादक और लेखक को याद करना गलत क्या है ?
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