तृष्णा का प्याला पीकर आदमी अविचारी और पागल हो जाता है - शेख सादी l
तृष्णा संतोष की बेरिन है ,यह जहाँ पाव पसारती है संतोष को भगा देती है -सुकरात l
जिसकी तृष्णा बदी -चढ़ी है वही दरिद्र है -भर्तृहरि l
तृष्णा संतोष की बेरिन है ,यह जहाँ पाव पसारती है संतोष को भगा देती है -सुकरात l
जिसकी तृष्णा बदी -चढ़ी है वही दरिद्र है -भर्तृहरि l
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