दोपहर में एक बॉकची वाला देखने में भी मुसटंट मुसलमान हमसे मिला जब हम घर पर कुर्सी पर बैठे हुए थे,आते ही बोला -हमको मदद चाहिए। भीख नहीं, चंदा नहीं मदद, तो मैंने कहा-किस चीज की मदद। आपको मै जानता नहीं क्यों मदद करूँ। कम से कम 1/- रुपया भी दे दीजिये। मेरा फिर माथा ठनका। मैंने सोचा गाँधी जी की तरह 1/-लेकर हर घर से मुस्लिमों को जोड़ना चाहता और देश के खिलाफ और मोदी के खिलाफ साजिश रचने की तैयारी कर रहा है। हमको शक हो गया वह बांग्लादेसी आतंकी था। हमसे यही गल्ती हो गई की मैंने आधार कार्ड नहीं मांगा।
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