सोमवार, 30 मार्च 2015

प्रभात खबर के बहुत बधाई अंगिका के काँलम चालू करला पे। पहिने अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के एगो शाखा अंगवाणी रहै जेकरा तरफ सें अंगिका के गोष्ठी चले रहे शहर में जगह- जगह। कहलो गेलो छै ,"मालिक गेले घर दायें बाएं हर।" अ0 भा0 अं0 सा0 कला मंच के संस्थापक महामंत्री गुरेश मोहन घोष 'सरल' ई दुनिया में नै रहलै, अंगवाणी गोष्ठी भी कल्पे लगलै। अंगवाणी गोष्ठी भागलपुर में ही खाली नै होय रहे- मुंगेर, बांका ,खगडिया ,कटिहार आदि  जग्गह में होय रहै। संस्था के गठन सौसे अंगजनपद में सरल जी ही करने रहै लेकिन साथ में जिला महासचिव के हैसियत से हम्मू उनका साथें जाय रिहे। आवे हम्मू सुल्तानगंज पकड़ी लेलिये, वहे पावन धरती छिकै ई जहाँ विश्व के सबसे बड़ो श्रावणी मेला लागै छै।  यहीं राजा कृष्णा नन्द ने 'गंगा' पत्रिका निकाले रहे।  निराला, दिनकर, नेपाली,रेणु, महादेवी वर्मा, शिव पूजन सहाय, राहुल सांकृत्यायन सें लेके बड़ो-बड़ो साहित्यकार ई पत्रिका से जुड़लो रहै। सुल्तानगंज प्रवास के दौरान ही राहुल जी ने अंगभाषा ( छिका छिकी ) के नामकरण अंगिका करलकै। नितीश जी ने यहीं अंगिका के अकादमी खोलै के घोषणा मंच सें करलकै। अंगिका आवे समृद्ध भाषा के रूप में जानलो जाय छै। हर विधा में रचना के भंडार होय गेलै। अष्टम सूचि  में दर्ज करे वास्ते केंद्र सरकार के आँख कब खुलै छै यहे देखना छै। जय अंग जय अंगिका।
                                                 ई0 अंजनी कुमार शर्मा
                                                 ब्लॉक रोड, सुल्तानगंज, भागलपुर-813213