गुरुवार, 30 मई 2013

dhan se---------

धन से पुस्तकें मिलती हैं किन्तु ज्ञान नहीं।
धन से आभूषण मिलता है किन्तु रूप नहीं।
धन से सुख मिलता है किन्तु आनन्द नहीं।
धन से साथी मिलते है किन्तु सच्चे मित्र नहीं।
धन से भोजन मिलता है किन्तु भूख नहीं।
धन से दवा मिलती है किन्तु स्वास्थ्य नहीं।
धन से एकांत मिलता है किन्तु शांति नहीं।
धन से विस्तार मिलता है किन्तु नींद नहीं।

बुधवार, 29 मई 2013

vichar-dunia ka -is tarah----

1 )दुनिया का सबसे बड़ा जेवर आपकी अपनी मेहनत है।
जो हाथ सेवा के लिए उठते हैं वे प्रार्थना करते होठों से पवित्र हैं।
स्वार्थ में अच्छाईयाँ ऐसे खो जाती हैं, जैसे समुंद्र में नदियाँ।
2 )इस तरह न कमाओ कि पाप हो जाये।
इस तरह न खर्च करो कि कर्जा हो जाये।
इस तरह न खाओ कि मर्ज हो जाये।
इस तरह न बोलो कि क्लेश हो जाये।
इस तरह न चलो कि देर हो जाये।
इस तरह न सोचो कि चिंता हो जाये।
ई० अंजनी कुमार शर्मा 

koi cheej hai to -----------

जीतने की कोई चीज है तो ---प्रेम
पीने की कोई चीज है तो ---क्रोध
खाने की कोई चीज है  तो ----गम
देने की कोई चीज है तो ---दान
दिखाने  की कोई चीज है तो---दया
लेने की कोई चीज है तो ---ज्ञान
कहने की कोई चीज है तो ---सत्य
रखने की कोई चीज है तो ---इज्जत
फेंकने की कोई चीज है तो ---ईर्ष्या
छोड़ने की कोई चीज है तो ---मोह    

ankhon me kya hai -------

आँखों में क्या है 
पिता की आँखों में--फर्ज
माता की आँखों में --ममता
भाई की आँखों में --प्यार
बहन की आँखों में -- स्नेह
अमीर की आँखों में --घमण्ड
गरीब की आँखों में --आशा
मित्र की आँखों में --सहयोग
दुश्मन की आँखों में --बदला
सज्जन की आँखों में --दया
शिष्य की आँखों में -- आदर 

सोमवार, 27 मई 2013

awgun-------

अवगुण नाव की पेंदी में छेद के समान है। यह चाहे छोटा हो या बड़ा , एक दिन नाव को डुबो देगा। कालिदास  

बुधवार, 22 मई 2013

kabya gishthi-------------

आज आकाशवाणी भागलपुर में काब्य गोष्ठी का रिकॉर्डिंग किया गया। जिसमे सभी चारो साहित्यकारों ने धारदार गजलों का पाठ  किया। मुंगेर से पधारे थे गज़लकार अनिरुद्ध सिन्हा, सुलतानगंज से पधारे थे गीतकार अंगिका-हिंदी के सुधीर कु० प्रोग्रामर और भागलपुर के थे अंगिका-हिंदी के साहित्यकार  ई० अंजनी कु० शर्मा, गज़लकार पतझर खैरावादी। सफल संचालन का दायित्व निभाया शंकर कैमुरी ने। इसका प्रसारण 25/5/13 को संध्या  8 बजे से होगा।  

मंगलवार, 21 मई 2013

janm din of raja ram mohan rai-----------

तोडा था अंग्रेज कलक्टर का दंभ (राजा राम मोहन राय के जन्म दिवस पर)--------- आज से 204 वर्ष पहले और आजादी की 1857 की पहली लड़ाई से भी 48 साल पूर्व परतंत्र भारत में राजा राम मोहन राय ने अपने स्वाभिमान और निडर व्यक्तित्व का परिचय दिया था। इनका जन्म कृष्णनगर हुगली जिले के निकट राधानगर गाँव में 22मई, 1722 को हुआ था। राजा राम मोहन राय ने भागलपुर में 1808-1809 तक कलेक्ट्रेट में दीवानी सिसिरस्तेदार (कार्यालय अधीक्षक) के पद पर नौकरी की थी। एक सरकारी कर्मचारी होते हुए भी अपनी अस्मिता और स्वाभिमान को ठेस पहुचने पर तत्कालीन कलक्टर सर फ्रेडरिक हेमिल्टन से विवाद हुआ था। एक दिन ये पालकी पर चढ़ कर गंगा घाट से शहर की ओर जा रहे थे। उसी समय हेमिल्टन घोड़े पर सैर के लिए निकले थे। पालकी में परदे लगे थे, इसलिए कलक्टर को देख नहीं सके। उस समय के शिष्टाचार के अनुसार भारतीयों को अंगरेज अधिका रियों  के आगे सवारी से गुजरना मना था।अभिवादन करना अनिवार्य था। राममोहन वैसा नहीं कर सके। आग-बबूला हो कलक्टर साहब ने पालकी रुकवा कर राममोहन को बुरा-भला कहना शुरू कर दिया। राममोहन ने बहुत समझाया लेकिन कलक्टर का गुस्सा शांत नहीं हुआ। तो आगे समझाना व्यर्थ समझ कर हेमिल्टन साहब के सामने ही राममोहन पालकी पर पुनः सवार होकर आगे निकल गए। राममोहन ने कलक्टर की इस करतूत को अपना अपमान समझा। इसकी लिखित शिकायत गवर्नर जनरल लार्ड मिंटो के पास किया। उन्होंने इसकी जाँच करवाई। जाँच में कलक्टर को दोषी पाया गया।अंतत गवर्नर जनरल के न्यायिक सचिव ने भागलपुर के मजिस्ट्रेट को तीखी टिप्पणी के साथ पत्र लिखा कि वे आशा करते है कि सर फ्रेडरिक हेमिल्टन को आगाह किया जायेगा कि भविष्य में वे देसी लोगों के साथ वाद-विवाद में नहीं फंसेंगे। ई० अंजनी कुमार शर्मा    

सोमवार, 20 मई 2013

prakhand prabhari aap-----------

रविवार को आप की कार्यसमिति की बैठक हुई। जिसमे निर्णय लिया गया कि पेट्रोल पर सरकार द्वारा 1.76 रूपये सरचार्ज को वापस किया जाय। हरी चादर योजना, ए पी एल, बी पी एल, मनरेगा और वृद्धा पेंशन में अनियमितता  को देखते हुए आप जून माह से आंदोलन करेगी। बैठक में प्रखंडों के सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रभारी भी नियुक्त किया गया। शाहकुंड व सुल्तानगंज के लिए ई० अंजनी  कुमार शर्मा, गौराडीह, कहलगाँव, पीरपैती, सन्हौला के लिए गौतम कुमार, गोपालपुर,रंगरा, नवगछिया व इस्माइलपुर के लिए डॉ योगेन्द्र, खरीक, नारायणपुर , बिहपुर के लिए शांति रमण व  निशांत, सबौर , नाथनगर व जगदीशपुर के लिए अर्जुन शर्मा,भागलपुर नगर के लिए अजीत कुमार सिंह, विश्वविद्यालय के लिए ललित टेकरीवाल, भरत कुमार सिंह व गौतम को प्रभारी बनाया गया है। ई०अंजनी कुमार शर्मा (वेबसाइट मेनेजर, आप भागलपुर )     

शनिवार, 18 मई 2013

vande matram par bahas---

वंदे मातरम को इसलाम के खिलाफ कहे जाने पर एक बहस
पिछले दिनों लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किये जाने से ठीक पहले वन्दे मातरम की धुन बजाई गई। धुन बजने के दौरान बसपा सांसद  शाफिकुर्ररहमान बर्क सदन से उठ कर बाहर चले गए। उनके ऐसा करने पर लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने उन्हें चेतावनी भी दी। इसके बाद कुछ नेताओं ने इसे संसद का अपमान माना। विवाद बढ़ने  पर रहमान ने कहा कि वे वंदे मातरम को इसलाम के खिलाफ मानते है इसलिए वे उठ कर चले गए। इसपर आम आदमी पार्टी की सदस्य शाजिया इल्मी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा -- इस तरह का सोच सस्ते स्तरकी राजनीति से ज्यादा और कुछ भी नहीं है।किसी को भी न तो देश की परवाह है न ही मुसलमान  या किसी और कौम की कोई फिक्र है। अगर है तो बस उन्हें अपनी राजनीति चमकाने की फिक्र है। जहाँ तक वंदे मातरम के इसलाम के खिलाफ होने का सवाल है, तो उस वक्त भी ऐसा मसला आया था जब इस गायन की परंपरा की शुरुआत हुई थी , लेकिन इसमें जिन पंक्तियों पर ऐतराज था, उन्हें उसी समय हटा दिया गया था।  इसे गाने की भी कोई जबरदस्ती नहीं है, आप चाहें तो गायें या न गायें। आप चाहते तो ख़ामोशी से खड़े रह सकते थे, लेकिन इसके गायन के समय ही संसद से वाकआउट करना अच्छी बात नहीं है।सांसद महोदय को समझना चाहिए की जबसे संसद चल रही है तबसे वंदे मातरम का गायन होता चला आ रहा है।अगर उन्हें गायन पर ऐतराज है तो उन्हें चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए था। हम एक बड़े लोकतंत्र में रहते है, जहाँ हमें हमारी हर बुनियादी चीजों के लिए अधिकार मिला हुआ है, इसमें धर्म भी शामिल है। अपने धर्म, अपनी कौम और अपनी विरासत को सजाने-संवारने का हमें पूरा हक़ है, लेकिन साथ ही जब हम जनता के प्रतिनिधि बनते हैं तो हमारा यह नैतिक दायित्व है कि हम अपनी जनता के बीच सौहार्द का संदेश दें।      

gazal-phir lagakar----------

                    ग़ज़ल 
फिर लगाकर बस्तियों में आग कोई। 
गा  रहा है दूर जाकर फाग कोई।।
अब कोई मेहमान तो आता नहीं।
फिर उचरता क्यों यहाँ पर काग कोई।।
हम सिमाने पर लड़ाई लड़ रहे थे।
आस्तीं में ही छिपा था नाग कोई।।
जब हुई ऋतुराज के आने की चर्चा।
देखकर हरसा गया फिर बाग कोई।।
अपहरण उसका की आखिर हो गया है।
बेचती फिरती थी बच्ची साग कोई।।
आदमियत तीन कौड़ी की हुई है।
फिर उछाला जा रहा है पाग कोई।।

बुधवार, 15 मई 2013

gazal---pahle jaisi----

                      ग़ज़ल 
पहले जैसी बातों में अब धार  नहीं है।
करनी को कथनी से दरकार नहीं है।।
किधर चल पड़ी है अब इस दौर में दुनिया।
नदियो के दोनों ओर कछार नहीं है।।
छिछलेपन से कैसे उबरेगा मानव।
राजा का अब वैसा दरबार नहीं है।।
करना जो भी अपने बलबूते करना।
मुल्क में कोई भी सरकार नहीं है।।
कोसा न करो तुम मंत्री-संत्री को।
गैरों से उनका कोई करार नहीं है।।
नौका जिसपे बैठी है जमकर जनता 
वह खिसक तो रही पर पतवार नहीं है।।


शनिवार, 11 मई 2013


घर में मिले गर माँ को, सबका ही सम्मान 
समझो माँ सबके लिए, है तो इक भगवान
कोई घर माँ के बिना, लगता है वीरान 
मिलता है हर काम में, माँ का ही वरदान 
माँ काली और लक्ष्मी, माँ दुर्गा अवतार 
एक प्रकार से माँ है, जीवन का आधार 
माँ से मिलती धूप है, माँ से मिलती छांव 
ना होने देती कभी, डगमग मेरे पांव 
माँ तो रहती है सदा, आँखों के ही पास
रखती है वह बंधाकर, बरबस मन में आस 
रात-दिन वह कभी नहीं, लेती है अवकाश 
चमकाती है वह सदा, घर-आँगन का वास 
है वह बच्चों के लिए, बुलंदी क़ी उड़ान
ला सकती वह कभी भी, तोड़कर आसमान
अपने जीवन का वही, है आँचल का छांव
माँ से ही है अंजनी, रौशन सारा गांव