शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

अंगिका के उत्थान के लिए चित्रशाला के मालिक रंजन जी ने अंगजनपद  की लोकगाथाओं पर उपन्यास लिखने और लिखवाने का अभियान चलाया। इसी अभियान में दर्जनों उपन्यास लिखा गया। हमको  उपन्यास लिखने के लिए हुरकुचने लगे।  हम भागते रहे अंत में लिखने के लिए तैयार हो गए। बाबा बिसु राउत पर मैंने  उपन्यास लिखा जो 2008 में  प्रकाशित हुई। रेस में यह पहला उपन्यास हो गया। आज  उपन्यास की हज़ारों प्रति बिक गई  है और देश के पुस्तकालयों में  मौजूद है जैसा प्रकाशक शिल्पायन ने सूचित किया है।  आज कोसी नदी के विजय घाट पर करीब करीब पुल बनकर तैयार  हो गया सिर्फ उदघाटन बांकी है।  इसी पुल का नाम अब  बाबा बिसु राउत होगा यानि अंगजनपद को एक करने वाला पुल।  मुख्यमंत्री नितीश कुमार बधाई के पात्र है।  कुछ दिन पहले उन्होंने अंगिका अकादमी बनाने की भी घोषणा की है सुल्तानगंज के मंच से।  अंगजनपद  की खोई सांस्कृतिक विरासत अब अपने पूर्व जगह पर लौट आएगी यही आशा है। ई० अंजनी कुमार शर्मा      

रविवार, 12 अप्रैल 2015

हरिवंश राय बच्चन कृत मधुशाला का अंगिका अनुवाद डॉ अमरेंद्र द्वारा किया गया है जो आज हमें समर्पित की गई है।
अंगिका लोक पत्रिका का अप्रैल -जून 2015 अंक कथा विशेषांक है जिसमे मेरी अंगिका कहानी ' भागलो बेटी के भाग ' छपी है। साथ में पत्र भी छपा है।
पलाश पत्रिका का लोकार्पण आज भगवान पुस्तकालय, नया बाजार, भागलपुर में हुई। जिसमे शहर के तमाम साहित्यकार मौजूद थे। जिसमे मेरी 6 कुण्डलिया, 12 सुगति छंद, 2 गज़लों के साथ परिचय छपी है।