गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017

baba bisu raut....................

मेरा यह उपन्यास बाबा बिसु राउत है, जो देश के प्रायः लाईब्रेरी में उपलब्ध है। एक बार लखिमपुर खिड़ी के लाईब्रेरी से लाईब्रेरियन ने फोन किया-'अभी अभी आपका उपन्यास मेरे लाईब्रेरी में आया है। चूँकि मैं भी भागलपुर का हूँ और उपन्यास में भागलपुर का नाम पढ़कर बहुत ख़ुशी हुई।सोचा जरा बात कर लें।'
'भागलपुर में कहाँ के हैं ?'मैंने पूछा।
'मेरा घर मिरजानहाट हैं।'
और भी बहुत बात हुई उनसे, बात करने के बाद हमने भी ख़ुशी का इजहार किया।
दूसरा फोन फर्रुखाबाद से आई, उनका कहना था-'अंजनी बाबू आपका उपन्यास लाईब्रेरी से ईसू कराकर घर ले जा रहे हैं पढ़ने के लिए। पढ़ने के बाद कहेंगे।'
मैंने भी उनको धन्यवाद प्रेषित कर मोबाईल आँफ कर दिया।     

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