बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

BHARAT SEVAK SAMAJ............

1989 में भागलपुर में दंगा हुआ था, दंगे में भागलपुर का विकास ठप्प हो गया था। मेरा भी मील बंदी के कगार पर चला गया।  तब साहित्य में रूचि जगने लगी। पहली कविता लिखी 'जख्मी शहर' वह लोकल अखबार में छप भी गई। धीरे धीरे कविता के मशीन बन गए। उसके  बाद सतीश बाबू जिला अध्यक्ष भारत सेवक संघ के संपर्क में आये। उन्होंने मुझे इस संस्था का सचिव बना दिया। इसी संस्था की ओर से सांप्रदायिकता पर सम्मलेन हुआ जिला परिषद् हॉल में जिसमे डॉ विष्णु किशोर झा वेचन और पूर्व मुख्यमन्त्री सत्येन्द्र बाबु भी पधारे थे। मैंने। एक रचना सुनाई टनकदार आवाज और जोश में। फिर डेरा चले आये। पीछे से सतीश बाबू भी आ गए स्कूटर से।
आते ही बोले -'तोरा सत्येन्द्र बाबू खोजी रहलो छों।'
हम भी उनके साथ सर्किट हाउस चले गए।
हमको देखते ही वे बोले -'साहब आपने तो भारत सेवक समाज का पूरा गूढ़ कविता के माध्यम से समझा दिए। कहाँ घर है ?'
'तिलकपुर। 'मैंने कहा।
'अच्छा जहाँ के सियाराम सिंह थे। '
'सियाराम बाबू तो इनके मौसा ही थे। 'सतीश बाबू ने ही जबाब दे दिया।
और भी बहुत बातें हुई। फिर विदा मुंगेर में जाकर किये। 
  

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