बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

lathimahatm.....

यह लाठी महात्म्य है जिसमें अंगिका के सौ से उपर दोहे सिर्फ लाठी पर है,इसके सृजन का आधार भी खलीफाबाग[भागलपुर]स्थित चौधरी जी के गोले में हुआ जहाँ डॉ अमरेंद्र ,दिनेशबाबा ,अनल,अनिल शंकर झा के साथ मेरी बैठकी शाम के शाम होती थी। अमरेंद्र जी इन सभी दोहों को सुनकर गदगद हो गए थे।  

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