सोमवार, 4 जून 2012

याद आये नागार्जुन 
      एक  बार नागार्जुन भागलपुर पधारे और बेचन जी के यहाँ ठहरे l  बेचन जी पहले अंगिका समर्थक थे l  बाद में वे मैथिली समर्थक बन गए l  अंगिका भाषी होते हुए भी बेचन जी अंगिका का विरोध करने लगे l नागार्जुन ने अंगिका कवि सुमन सुरो  को बुलाये और सुरों जी की ओर इशारा करते हुए कहा-'देखो बेचन अंगिका का विरोध करने से अब काम नहीं चलेगा l न तो अंगिका जैसा मैथिली  का साहित्य है न सुमन सुरों जैसा कोई साहित्यकार l '
       लेकिन बेचन जी लाचार थे क्योंकि मैथिल होने के नाते वे मैथिली भाषी की गिरफ्त में आ चुके थे l  यही कारण है कि बेचन जी का नाम अंगिका साहित्य में कोई लेने वाला नहीं है l वही हाल पूर्व मुख्य मंत्री भागवत झा आजाद का हुआ l ठेठ अंगिका बोलते हुए बाद में मैथिली का समर्थक बन गए l कीर्ति आजाद का भी वही हश्र  होगा न घर का न घाट का l    

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