याद आये नागार्जुन
एक बार नागार्जुन भागलपुर पधारे और बेचन जी के यहाँ ठहरे l बेचन जी पहले अंगिका समर्थक थे l बाद में वे मैथिली समर्थक बन गए l अंगिका भाषी होते हुए भी बेचन जी अंगिका का विरोध करने लगे l नागार्जुन ने अंगिका कवि सुमन सुरो को बुलाये और सुरों जी की ओर इशारा करते हुए कहा-'देखो बेचन अंगिका का विरोध करने से अब काम नहीं चलेगा l न तो अंगिका जैसा मैथिली का साहित्य है न सुमन सुरों जैसा कोई साहित्यकार l '
लेकिन बेचन जी लाचार थे क्योंकि मैथिल होने के नाते वे मैथिली भाषी की गिरफ्त में आ चुके थे l यही कारण है कि बेचन जी का नाम अंगिका साहित्य में कोई लेने वाला नहीं है l वही हाल पूर्व मुख्य मंत्री भागवत झा आजाद का हुआ l ठेठ अंगिका बोलते हुए बाद में मैथिली का समर्थक बन गए l कीर्ति आजाद का भी वही हश्र होगा न घर का न घाट का l
एक बार नागार्जुन भागलपुर पधारे और बेचन जी के यहाँ ठहरे l बेचन जी पहले अंगिका समर्थक थे l बाद में वे मैथिली समर्थक बन गए l अंगिका भाषी होते हुए भी बेचन जी अंगिका का विरोध करने लगे l नागार्जुन ने अंगिका कवि सुमन सुरो को बुलाये और सुरों जी की ओर इशारा करते हुए कहा-'देखो बेचन अंगिका का विरोध करने से अब काम नहीं चलेगा l न तो अंगिका जैसा मैथिली का साहित्य है न सुमन सुरों जैसा कोई साहित्यकार l '
लेकिन बेचन जी लाचार थे क्योंकि मैथिल होने के नाते वे मैथिली भाषी की गिरफ्त में आ चुके थे l यही कारण है कि बेचन जी का नाम अंगिका साहित्य में कोई लेने वाला नहीं है l वही हाल पूर्व मुख्य मंत्री भागवत झा आजाद का हुआ l ठेठ अंगिका बोलते हुए बाद में मैथिली का समर्थक बन गए l कीर्ति आजाद का भी वही हश्र होगा न घर का न घाट का l
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें