बंगला के जाने माने कथाकार बलाईचन्द मुख़र्जी 'वनफूल (दायें ) की कृति हाटे -बाजारे और भुवनसोम की प्रसिद्धी के बाद महान बंगला फ़िल्मकार सत्यजीत रे वनफूल से उनकी कहानियां लेने कई बार भागलपुर आये l लेकिन वनफूल ने यह कहकर लौटा दिया और कहा की 'भारत की दरिद्रता को फिल्मों के माध्यम से दिखाते हैं , जबकि भारत ऐसा नहीं है l '
आज भी उनकी कृति हाटे बाजारे के नाम पर एक रेलगाड़ी कोलकाता से कटिहार तक चलती है l इसपर फिल्म भी बनी है जिसमे अंगिका भाषा का प्रयोग खूब हुआ है l अंगिका ने बंगला साहित्य को समृद्ध करने का काम किया है l जाने माने आलोचक नामवर सिंह ने तो यहाँ तक कहा है की पूर्वी बिहार की बोली से असमिया भाषा का विकास हुआ है l अतः असमिया भाषा और संस्कृति में भी अंगिका का बड़ा योगदान है l
वनफूल भागलपुर के एक जाने माने डॉक्टर थे l यहाँ उनके तीन ठिकाने थे -खालीफबग स्थित चित्रशाला , पटल बाबू रोड पर उनकी क्लिनिक और आदमपुर स्थित उनका आवास गोलकोठी l फोटो में साहित्यिक चर्चा करते हुए वनफूल साथ में हरिकुंज (बाएं चस्मा में ) तथा बीच में अनुज (खड़े हुए )l
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