ErAnjaniSharmaAnjani's Blog
सोमवार, 17 अक्टूबर 2011
जनगीत
धन के लोभी सदा ठसाठस भरते अपनी झोली
इनका पेट हिडिम्बा जैसा सब अट जाती बोली
इतनी सक्त बनी है चमरी होता नहीं रिसाव
नेता वो जो सुद्ध हुआ उसका यहाँ अभाव
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