शनिवार, 16 मार्च 2013

nai lekhni july-dec 2012 ank------------

बरेली से निकलने वाली यह तरही हिंदी ग़ज़ल पत्रिका 'नई लेखनी' का जुलाई -दिसम्बर 2012, अंक -4 है जिसमे करीब 240 ग़ज़लें है। इस बार  इसका मिस्रा था ' लौट आया समय हर्ष उल्लास का'। पृष्ठ 6 पर मेरा ग़ज़ल इस प्रकार है।
हर दिशा में जला दीप विश्वास का
लौट आया समय हर्ष उल्लास का
है चतुर्दिक ये उपवन ही उपवन यहाँ
मोल अब चढ़ गया मेरे आवास का
नित्य उत्पन्न होती नई उलझनें
आचरण जो कड़ा है मेरी सास का
देह में प्राण अब शेष हैं ही नहीं
फल मिला मुझको ये मेरे उपवास का
पतझरों के भी जाने से क्या मिल गया
पीटते थे सभी ढोल मधुमास का

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