रविवार, 26 नवंबर 2017

vikash...

जिसकी थी आस.
दौर रहा अब घर घर विकास,
टप टप चूता था पानी,
अब बहती है जल की धारा,
भूक भाक करता था बल्ब,
अब घर से शहर है उँजियारा,
शौच से मुक्त हुआ गंगा का किनारा,
सब है मोदी की देन.
बूझ गया लालटेन,

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