शनिवार, 12 मई 2012

दोहे 
घर में मिले गर माँ को, सबका ही सम्मान 
समझो माँ सबके लिए, है तो इक भगवान
कोई घर माँ के बिना, लगता है वीरान 
मिलता है हर काम में, माँ का ही वरदान 
माँ काली और लक्ष्मी, माँ दुर्गा अवतार 
एक प्रकार से माँ है, जीवन का आधार 
माँ से मिलती धूप है, माँ से मिलती छांव 
ना होने देती कभी, डगमग मेरे पांव 
माँ तो रहती है सदा, आँखों के ही पास
रखती है वह बंधाकर, बरबस मन में आस 
रात-दिन वह कभी नहीं, लेती है अवकाश 
चमकाती है वह सदा, घर-आँगन का वास 
है वह बच्चों के लिए, बुलंदी क़ी उड़ान
ला सकती वह कभी भी, तोड़कर आसमान
अपने जीवन का वही, है आँचल का छांव
माँ से ही है अंजनी, रौशन सारा गांव 
ई० अंजनी कुमार शर्मा ,भागलपुर ,
मो0- 09835092904

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