बुधवार, 19 नवंबर 2014

shadi par gazal----------------------

२०/११/१४ को दोस्त की शादी में एक अरसे के बाद  बारात में भागलपुर आये तिलकपुर से। बचपन के सभी मित्रों का मिलन समारोह था एक  तरह से, अच्छा लगा। गुप्ता विवाह भवन, मिरजानहाट,  भागलपुर के एक कमरे में चुटकलों का दौर चला।  एक से बढ़कर एक चुटकलों ने सबको हँसते हँसते लोट पॉट कर दिया। इसी दरम्यान शादी पर एक ग़ज़ल भी सुनाया जो सुल्तानगंज के अपने अक्षया मेडिकल हॉल में बैठे बैठे बनाया। संयोगवश लड़की के पिता भी मेरे दोस्त ही थे। ग़ज़ल इस प्रकार है ---
दो दिलों को जोड़ता है मगर गहराई से शादी 
एकता की पेश करता बरबस नमूना ही शादी 
अजनवी औ गैर कैसे हो रहे है आपस में एक 
शक्तिशाली है शिव ,काली से यहाँ ज्यादा यह शादी 
नारियों को ही बढ़ाने का यही मंत्र है बस
घर गृहस्थी  ही खिलाने का इक किरण है यह शादी 
आप आये हम सभी आये गले भी मिले इस जगह 
काम भी करता मिलाने का यही तो बरबस शादी 
वर-बधू को आशिर्वाद मिलता इसी में लोगों का 
दीर्घायु ही बनाता  अंजनी दोनों  को शादी    

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