शनिवार, 2 अप्रैल 2016

नशाबंदी पर  ३ दोहे
ख़ुश होकर ओरतें अब , उड़ा रही है रंग ,
लगता है जैसे की , जीत गई है जंग।
महिलाओं की पहल पर. आया यह कानून ,
देसी न विदेशी बिका,अच्छा रहा सगुन ।
दारु से परेशान थी , महिला और समाज ,
करेगी अब खुलकर वह, घर का सारा काज ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें