शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

doha....

शराब बंदी पर पाँच दोहा .......
करोड़ो तक के शराब, होले कलतक नष्ट,
सुधरते नै बिहार जों, नै सुधारते भ्रष्ट |
लगलै देसी दारु पर, आजे से प्रतिबंध,
पियक्कड़ के मुहमा से, नै ऐतै कुछ गंध |
बिकते सिर्फ शहर में ही, अब विदेशी शराब,
नै चाहते सी एम की, बिहार हुवे खराब |
देसी दारु के अर्थी, निकलले धूमधाम,
महिला ब्रिगेड बंद के बाद करते आराम |
वोखे छै अब अंजनी, टुअर नाकी दारु वाज,
चोंधरेते खोजे में, दारु दूरदराज |

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