सुल्तानगंज आवास के पीछे 10-15 कट्ठे में आम,मोहनगी,सागवान तो लगाए ही सोचे कुछ फूल भी रहना चाहिए। भागलपुर से लाकर गेंदा लगा दिए जिससे फूलों की वारिस हो रही है। कनेल का भी 20 गाछ लगा दिए चारो तरफ।अड़हुल का डंठल काट काट कर भी गांथ दिए थोक भाव में। गेंदा के सूखे फूल को छिड़क देते है कुछ परसेंटेज तो जन्मेगा ही।एक गाछ गुलमोहर भी है।सब्जी में लाल साग, रमतोड़य कम मात्रा में है खाने भर ही है पर बोरा का सैंकड़ो गाछ लहलहा रहा है,लगता है खाने के बाद कुछ आड़त में देना पड़ेगा पॉकेट खर्च निकल जायगा। साल दो साल में बगीचा फल के साथ फूल से भी महक उठेगा
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