सरहज डॉo संगीता शर्मा बुद्ध नगरी गया में अपनी सेवा में तल्लीन है, लगन, निष्ठा से निस्वार्थ भाव से काम करती है। यही कारण है गया ऐसे बड़े शहर में इनकीअपनी पहचान है। मेहनत करने वालों के पीछे-पीछे संस्कार के साथ साथ पैसा भी चलता है तो कोई तिकड़म करने की क्या जरुरत है। इसी सिद्धांत पर फल फूल रही है, हमसे छोटी है लेकिन हमारा आशीर्वाद सदैव ऐसे सगे संबंधियों पर हमेशा रहता है जो परिश्रम से ज्ञान का भंडार बढ़ाते है और हमें गर्व भी होता है ऐसे मेहनती लोगों पर।इसको बड़ाई के तौर पर नहीं लिया जाय यह एक सच्चाई है। इसी सच्चाई के बल पर अंजनी जिन्दा है। बहुत मिले हैं पैर खींचने वाले हमें भी लेकिन खुद वे हताश हुए हैं, अजगैवी बाबा के दरबार में मेरे साहस में काफी बृद्वि हुई है और संपन्नता घटने के बजाय बढ़ ही रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें