ये हैं हमारे मिडिल स्कूल तिलकपुर के मित्र डॉo नन्द कुमार यादव 'इंदू', जो तिo भाo विश्वविद्यालय में पीजी केमिस्ट्री में हेड थे। बाद में अम्बेडकर विश्वविद्यालय में प्रो वीसी बने फिर बाद में कही वीसी भी बने। इनकी पत्नी डॉo रोमा यादव भागलपुर में प्रख्यात चिकित्सक हैं। एक बार भागलपुर से घर जा रहे थे तो नाथनगर में इनके घर में एक स्टाफ को ' बाबा बिसु राउत ' उपन्यास की प्रति दे दी यह सोचकर की प्रति नन्द के पास पहुँच ही जायगा। एक महीने के बाद अचानक ये मेरे डेरे में आये और बोले-'अंजनी ! की जबर्दस्त उपन्यास लिखने छैं ? एकरा ते हम्मे ट्रेन के सफर में ही पढ़ी लेलियो। ले एकरो समीक्षा। 'एक घंटा रुके घर पर,चाय पिए फिर चले गए। हमने उनको दिल से साधुवाद किया।
सर आप का उपरोक्त उपन्यास कैसे मिलेगा? मैं पढ़ना चाहता हूं।
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