मेरे बड़े भाई का जब शादी हुई थी तो मेरा जन्म भी नहीं हुआ था तो निश्चित रूप से मेरा पालने-पोषने में भाभी स्वo शिवनंदनी देवी का बड़ा योगदान रहा है। पहले मिट्टी के घड़े में भात और दाल बनता था। ढक्कन भी लकड़ी का बना होता था। कलछू और छोलनी भी। मुझे याद है भाभी काम-धाम करके भनसा से निकल जाती थी तो हम चुपके से भनसा में घुसते थे और इत्मीनान से ढक्कन में दाल निकालकर पीते थे। फुर्ती में यह सब काम करना पड़ता था तो थोड़ा दाल गिर ही जाता था इसी से मेरी चोरी उजागर हो जाती थी। लेकिन दुलरवा थे घर के तो डांट-फटकार का कोई दरेस देखने नहीं मिलता था। भाभी का फोटो साथ में भाई नन्द किशोर शर्मा का फोटो भी नमन करते हुए यादगारी में दे रहा हूँ।
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