शुक्रवार, 23 मार्च 2018

21 march vishva kavita divas....

'कविता क्या है ?
कोई पहनावा है ?
कुर्ता-पायजामा है ?'
'ना ,भाई ,ना,
कविता शब्दों की अदालत में
मुजरिम के कटघरे में खड़े
बेकसूर आदमी का हलफनामा है।'
'क्या यह व्यक्तित्व बनाने की
चरित्र चमकाने की ---
खाने-कमाने की ---
चीज है ?'
'ना भाई ना ,
कविता भाषा में
आदमी होने की तमीज है।'
.... सुदामा प्रसाद पांडे 'धूमिल'
(साभार मधुरिमा)  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें