बुधवार, 28 मार्च 2018

rajbhash patrika.....

बिहार सरकार, राजभाषा पत्रिका अप्रैल-जून,2013 में मेरी एक गजल छपी थी जिसके प्रधान संपादक (भा प्रoसेo)ब्रजेश मेहरोत्रा जी थे जो अभी कैबिनेट सचिव हैं। उस समय ये राजभाषा विभाग के निदेशक भी थे।
गजल
फिर लगाकर बस्तियों में आग कोई
गा रहा है दूर जाकर फाग कोई
जब कोई मेहमान तो आता नहीं
फिर उचरता क्यों यहाँ पर काग कोई
हम सिमाने पर लड़ाई लड़ रहे थे
आस्तीं में ही छिपा था नाग कोई
जब हुई ऋतुराज के आने की चर्चा
देखकर हरसा गया फिर बाग कोई
अपहरण उसका कि आखिर हो गया है
बेचती फिरती थी बच्ची साग कोई
आदमीयत तीन कौड़ी की हुई है
फिर उछाला जा रहा है पाग कोई।  

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