शनिवार, 17 मार्च 2018

naresh...

याद में -------अंगिका
गेहुंमा के बाल झूमे बहे हवा पछिया,
खनाखन डांट करे खचाखच कचिया।
काटी के गेहुंमा आरो बान्ही के बोझो ,
सभे गोरिया होलै खलिहानी दिस सोझो
भाँति नाँकि फुले पचके सबके छतिया।
स्वo नरेश पांडेय चकोर   

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